मैं सॉफ्टवेर इंजिनियर बन गया सपने तो सभी देखते है ,
मेरा भी एक सपना था ,
ज़िन्दगी मैं कुछ कर गुजरने का मन में जो ठान लिया था बहुत ही लगन से मैंने कि थी पढाई ,
इसलिए मैंने भी सोचा क्यों ना सॉफ्टवेर इंजिनियर बन जाऊ मेरे भाई ,
कालेज के दिन ख़तम हुए ,और वक़्त हाथ से यूँ ही फिसल गया,
कैम्पस में ही मेरा चुनाव हुआ ,
और मैं नौकरी करने निकल गया कुछ पल बीते ,
कुछ हफ्ते बीते , और फिर वक़्त सालो में बादल गया मैं क्या बताऊ यारो ,
मैं सॉफ्टवेर इंजिनियर बन गया ,
सॉफ्टवेर इंजिनियर कहलाना यूँ तो बड़ी शान थी ,
पर असलियत में सच पूछो तो,
ना ह्रदय में दिल बचा था ना शरीर में जान थी हर घडी कंप्यूटर संग रहना ,
और उसे ही दिलरुबा कहना अब मेरी पहचान थी हर वक़्त यूँ ही उलझे उलझे नयी फंक्शनलिटी बनाते थे,
जब थोडा सा खुश होते थे तो नए बग मिल जाते थे,
तभी कुछ सीनिअर्स ने बोला यूनिट टेस्टिंग किया करो ,
जब भी तुम कोडिंग करते हो , तो अपना कोड रीवीऊ किया करो, हर घड़ी हम कोडिंग में जी जान लगाते ,
नए नए लोजिक बनाते, एक दुसरो के लोजिक में ,
कभी कभी यूँ ही फस जाते , पी जाते ना जाने कितनी सिगरेट , और कितनी चाए कि प्याली भी ,
कोडिंग कि भूल भुलैया में दिमाग हो जाता खाली भी, कुछ वैसे ही प्रोजेक्ट बड़े थे, कई दिनों से लटके पड़े थे ,
उनको जल्दी ख़तम करने में , मेरी आधी उम्र निकल गयी,
सोचा ये सब तो चलता ही रहेगा चलो कुछ नया किया जाए तभी घरवालो से बात हुई ,
और उन्होंने शादी के रिश्ते बतलाये,
लड़की के घरवालो ने पुछा , कहिये लड़का क्या करता है ,
मेरे पिता जी शान से बोले , वो एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेर बनाता है सैलरी उसको अच्छी मिलती है , और सॉफ्टवेर इंजिनियर कहलाता है,
लड़की के पिता फट से बोले ये तो अहोभाग्य है, लड़की भी सॉफ्टवेर इंजिनियर है, और गुडगाँव में करती जॉब है ,
दोनों के घरवाले तो बहुत ही खुश थे , मैंने भी सोचा क्या किस्मत पाई ,
यहाँ भी भगवान् ने देखो लोजिक लगा दिया मेरे भाई शादी हुई दिन अच्छे बीते ,
कुछ नोंक झोंक में कुछ हँस खले कर, फिर सोचा ये कोडिंग का सिलसिला तो यूँ ही चलेगा ,
ना कुछ बदला है ना कुछ बदलेगा बदलेंगे सिर्फ फ्रेमवर्क , कुछ कोड, और कुछ नयी फंक्शनलिटी ,
इसलिए यारो जी भर के जी लो पल, ना जाने आज या कल ,
कब अपना भी नंबर आ जाए , एक नए ताबूत में,
अपनी पुरानी ज़िन्दगी का भी फ्रेमवर्क बना कर, उस पर मिस्टर लेट का कोड लिख दिया जाए ........
मेरा भी एक सपना था ,
ज़िन्दगी मैं कुछ कर गुजरने का मन में जो ठान लिया था बहुत ही लगन से मैंने कि थी पढाई ,
इसलिए मैंने भी सोचा क्यों ना सॉफ्टवेर इंजिनियर बन जाऊ मेरे भाई ,
कालेज के दिन ख़तम हुए ,और वक़्त हाथ से यूँ ही फिसल गया,
कैम्पस में ही मेरा चुनाव हुआ ,
और मैं नौकरी करने निकल गया कुछ पल बीते ,
कुछ हफ्ते बीते , और फिर वक़्त सालो में बादल गया मैं क्या बताऊ यारो ,
मैं सॉफ्टवेर इंजिनियर बन गया ,
सॉफ्टवेर इंजिनियर कहलाना यूँ तो बड़ी शान थी ,
पर असलियत में सच पूछो तो,
ना ह्रदय में दिल बचा था ना शरीर में जान थी हर घडी कंप्यूटर संग रहना ,
और उसे ही दिलरुबा कहना अब मेरी पहचान थी हर वक़्त यूँ ही उलझे उलझे नयी फंक्शनलिटी बनाते थे,
जब थोडा सा खुश होते थे तो नए बग मिल जाते थे,
तभी कुछ सीनिअर्स ने बोला यूनिट टेस्टिंग किया करो ,
जब भी तुम कोडिंग करते हो , तो अपना कोड रीवीऊ किया करो, हर घड़ी हम कोडिंग में जी जान लगाते ,
नए नए लोजिक बनाते, एक दुसरो के लोजिक में ,
कभी कभी यूँ ही फस जाते , पी जाते ना जाने कितनी सिगरेट , और कितनी चाए कि प्याली भी ,
कोडिंग कि भूल भुलैया में दिमाग हो जाता खाली भी, कुछ वैसे ही प्रोजेक्ट बड़े थे, कई दिनों से लटके पड़े थे ,
उनको जल्दी ख़तम करने में , मेरी आधी उम्र निकल गयी,
सोचा ये सब तो चलता ही रहेगा चलो कुछ नया किया जाए तभी घरवालो से बात हुई ,
और उन्होंने शादी के रिश्ते बतलाये,
लड़की के घरवालो ने पुछा , कहिये लड़का क्या करता है ,
मेरे पिता जी शान से बोले , वो एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेर बनाता है सैलरी उसको अच्छी मिलती है , और सॉफ्टवेर इंजिनियर कहलाता है,
लड़की के पिता फट से बोले ये तो अहोभाग्य है, लड़की भी सॉफ्टवेर इंजिनियर है, और गुडगाँव में करती जॉब है ,
दोनों के घरवाले तो बहुत ही खुश थे , मैंने भी सोचा क्या किस्मत पाई ,
यहाँ भी भगवान् ने देखो लोजिक लगा दिया मेरे भाई शादी हुई दिन अच्छे बीते ,
कुछ नोंक झोंक में कुछ हँस खले कर, फिर सोचा ये कोडिंग का सिलसिला तो यूँ ही चलेगा ,
ना कुछ बदला है ना कुछ बदलेगा बदलेंगे सिर्फ फ्रेमवर्क , कुछ कोड, और कुछ नयी फंक्शनलिटी ,
इसलिए यारो जी भर के जी लो पल, ना जाने आज या कल ,
कब अपना भी नंबर आ जाए , एक नए ताबूत में,
अपनी पुरानी ज़िन्दगी का भी फ्रेमवर्क बना कर, उस पर मिस्टर लेट का कोड लिख दिया जाए ........
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