अजीब जहाँ है, तेरा ए मेरे खुदा
कहा तुने हूँ मैं हर जगह!
फिर दिखा क्यों मुझे कहीं नहीं
देखता तो हूँ मैं तुझे हर जगह !
ढूंढते है लोग हर पल तुझे हर जगह
मंदिर मस्जिद और न जाने कहाँ कहाँ!
पता अपना बता दे ए मेरे खुदा मुझे
एक बार ही सही मगर खुद से मिला दे मुझे!
इतनी शिफत तो मेरी दुआ मैं अदा हो
याद करू मैं तुझे और तू सामने मेरे खड़ा हो!
है नाम पे तेरे क्यों इतना कत्ले आम
क्या तुने ऐसा ही बनाया था इंसान
रूह मैं जब बस्ता है तू सबकी
तो फिर कैसे हैवान बन गया इंसान !
ए खुदा ऐसा ही जहाहं है तेरा
तो कैसा ये जहाँ है तेरा !
लगता खुद से खफा है जहाँ तेरा
तुझसे ही न जाने कैसे जुदा जहाँ है तेरा!
कहा तुने हूँ मैं हर जगह!
फिर दिखा क्यों मुझे कहीं नहीं
देखता तो हूँ मैं तुझे हर जगह !
ढूंढते है लोग हर पल तुझे हर जगह
मंदिर मस्जिद और न जाने कहाँ कहाँ!
पता अपना बता दे ए मेरे खुदा मुझे
एक बार ही सही मगर खुद से मिला दे मुझे!
इतनी शिफत तो मेरी दुआ मैं अदा हो
याद करू मैं तुझे और तू सामने मेरे खड़ा हो!
है नाम पे तेरे क्यों इतना कत्ले आम
क्या तुने ऐसा ही बनाया था इंसान
रूह मैं जब बस्ता है तू सबकी
तो फिर कैसे हैवान बन गया इंसान !
ए खुदा ऐसा ही जहाहं है तेरा
तो कैसा ये जहाँ है तेरा !
लगता खुद से खफा है जहाँ तेरा
तुझसे ही न जाने कैसे जुदा जहाँ है तेरा!
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